अजीब सी ये दुनिया है,
सबका अलग-अलग रोना है...
जो मिल गया वो मिट्टी है,
जो ना मिला, वो सोना है....
गाँव वालों की, शहरों में बसने की चाहत है,
शहर वाले "फार्म हाउस " में ढूंढते राहत हैं..
दोनों को, इसी उधेड़बुन में, मन का सुकून खोना है..
जो मिल गया वो मिट्टी है,
जो ना मिला, वो सोना है....
शादी के पहले, एक -दूसरे के लिए ,मर मिटने को आकुल थे,
सब रिश्ते -नाते तोड़ कर, एक दूजे को,
व्याकुल थे....
शादी के बाद, छोटी-छोटी बातों में,
एक- दूसरे के आँखों को,आंसुओं से भिगोना है...
अब मिल गया तो मिट्टी है, जो ना मिला था सोना था....
जिसके माँ-बाप हैं,
उसको, इसकी कदर नहीं,
कोई बदनसीब ऐसा भी,
जिसे किसी अपने की खबर नहीं..
कोई माँ- बाप के प्यार को भी ज़ंजीर समझता है,
कोई सर पे प्यार से हाथ रखने वाले, को भी तरसता है..
जो हैं, माँ -बाप तो मिट्टी हैं,
जो हैं नहीं तो सोना है....
किसी को सालों से सिर्फ एक बच्चे की चाहत है,
कोई आज़ादी के नाम पे ,अनचाही गृहस्थी से आहत है..
वाह री दुनिया!!!
सिर्फ, दूसरों का ही, सपन सलोना है...
वो जो मिला खुद को, वो मिट्टी है...
वो जो मिला दूसरों को, वो सोना है!!!!
इंदू वर्मा
सबका अलग-अलग रोना है...
जो मिल गया वो मिट्टी है,
जो ना मिला, वो सोना है....
गाँव वालों की, शहरों में बसने की चाहत है,
शहर वाले "फार्म हाउस " में ढूंढते राहत हैं..
दोनों को, इसी उधेड़बुन में, मन का सुकून खोना है..
जो मिल गया वो मिट्टी है,
जो ना मिला, वो सोना है....
शादी के पहले, एक -दूसरे के लिए ,मर मिटने को आकुल थे,
सब रिश्ते -नाते तोड़ कर, एक दूजे को,
व्याकुल थे....
शादी के बाद, छोटी-छोटी बातों में,
एक- दूसरे के आँखों को,आंसुओं से भिगोना है...
अब मिल गया तो मिट्टी है, जो ना मिला था सोना था....
जिसके माँ-बाप हैं,
उसको, इसकी कदर नहीं,
कोई बदनसीब ऐसा भी,
जिसे किसी अपने की खबर नहीं..
कोई माँ- बाप के प्यार को भी ज़ंजीर समझता है,
कोई सर पे प्यार से हाथ रखने वाले, को भी तरसता है..
जो हैं, माँ -बाप तो मिट्टी हैं,
जो हैं नहीं तो सोना है....
किसी को सालों से सिर्फ एक बच्चे की चाहत है,
कोई आज़ादी के नाम पे ,अनचाही गृहस्थी से आहत है..
वाह री दुनिया!!!
सिर्फ, दूसरों का ही, सपन सलोना है...
वो जो मिला खुद को, वो मिट्टी है...
वो जो मिला दूसरों को, वो सोना है!!!!
इंदू वर्मा